जैसी हो वैसी ही आ जाओ
सिंगार को रहने दो।
जैसी हो वैसी ही आ जाओ
सिंगार को रहने दो।
बाल अगर बिखरे हैं
सीधी माँग नहीं निकली
बांधे नहीं अंगियाँ के फ़ीते
तो भी कोई बात नहीं
जैसी हो वैसी ही आ जाओ
सिंगार को रहने दो।
ओस से भीगी मटी में
पाव अगर सन्न जाए तो
ओस से भीगी मटी में
पाव अगर सन्न जाए तो
घुंगरू गिर जाए पायल से
तो भी कोई बात नहीं
जैसी हो वैसी ही आ जाओ
सिंगार को रहने दो।
आकाश पे बदल उमड़ रहे है देखा क्या
गूँजे नदी किनारे से सब उड़ने लगे है
देखा क्या
बेकार जला कर रखा है सिंगार दिया
बेकार जला कर रखा है सिंगार दिया
हवा से काँपके बार बार उड़ जाता है
सिंगार दिया
जैसी हो वैसी ही आ जाओ
सिंगार को रहने दो
किसको पता है
पलकों तले
दिए का काजल लगा नहीं
नहीं बनी है प्रांदी तो क्या
गज़रा नहीं बांधा तो छोड़ो
जैसी हो वैसी ही आ जाओ
सिंगार को रहने दो
हो सिंगार को रहने दो
रहने दो
सिंगार को रहने दो
~ गुलज़ार
Recent Comments